हम करेंगे हर बिमारी को छोटा

 हम करेंगे हर बिमारी को छोटा
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आयुर्वेद आप के अच्छे स्वास्थ्य के वचनबंद है

  आपको यहां बताए जा रहे नुस्खों में उपयोग की जाने वाली औषधियां बाजार में किसी भी औषधि की दुकान से आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं। 


जो व्यक्ति हर रोज भोजन के बाद थोड़े से गुड़ का सेवन करता है, उसे शारीरिक रूप से काफी लाभ प्राप्त होता है। गुड़ पुराना होगा तो अधिक फायदेमंद रहता है। भोजन के बाद थोड़ा-सा मीठा खाने पर पाचन तंत्र को मदद मिलती है।


काला नमक, हींग और सोंठ का काढ़ा बनाकर पीने से पेट से संबंधित कई रोग दूर होते हैं। पेट साफ और स्वस्थ रहेगा तो शरीर ऊर्जावान और शक्तिशाली बना रहता है।


यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक बुढ़ापे के रोगों से बचना चाहता है और कमजोरी को दूर रखना चाहता है तो नियमित रूप से गाय के दूध का सेवन करना चाहिए। यदि दूध में घी और शहद भी मिला लिया जाए तो यह आयु बढ़ाने वाला होता है।


खाना खाने के बाद मिश्री और मक्खन का सेवन करना भी लाभदायक होता है। इस उपाय से बुद्धि बढ़ती है और शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। यदि गाय के दूध से बना मक्खन होगा तो ज्यादा बेहतर रहता है।


शहद और त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए तो लंबे समय तक आंखें स्वस्थ रहती हैं और आंखों से संबंधित कई छोटी-छोटी बीमारियां दूर ही रहती हैं।


घी के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन करना चाहिए। यह आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।


हर रोज सोने से पहले शहद और घी का सेवन करने से शरीर को शक्ति प्राप्त होती है।


तिल, अश्वगंधा, मूसली, काली तुलसी और गुड़ को परस्पर समान भाग में मिलाएं और इसके छोटी-छोटी गोलियां बनाएं। इन गोलियों का सेवन करने पर भी शरीर को ताकत मिलती है।


उड़द, अलसी, गेहूं और पिप्पली को पीसकर उसमें घी मिलाएं और शरीर पर लगाएं। ऐसा नियमित रूप से करने पर त्वचा लंबे समय तक चमकदार और स्वस्थ बनी रहती है।


पिप्पली, लौहचूर्ण, सोंठ, आंवला, सेंधा नमक, शहद और मिश्री को समान मात्रा में एक साथ मिलाएं। इस मिश्रण का सेवन नियमित रूप से करते रहेंगे तो व्यक्ति लंबे समय तक बलवान बने रह सकता है।


गरुड़ पुराण के अनुसार जो लोग अधिक बलवान होना चाहते हैं, उन्हें हर रोज मिश्री, शहद और मक्खन को एक साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए।

मक्खन और मिश्री सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने बालपन में मक्खन-मिश्री की सेवन किया था। आज भी श्रीकृष्ण को मुख्य प्रसाद के रूप में यही अर्पित किया जाता है।

सिद्ध आयुर्वेदिक आश्रम सिरहिन्द
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