सिद्ध लिवर कल्पचुर्ण

सिद्ध अयूर्वादिक

★ यकृत के विकार (लिवर या जिगर की खराबी)★
                     अयूर्वादिक दवा


                    *सिद्ध लिवर कल्पचुर्ण*

        *बढ़े लिवर, फेंटी लिवर में रामबाण दवा*
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★*सुबह पेट साफ ओर सभी पेट की बीमारी    ठीक होगी*
★ *एक दम हल्का महसूस होगा।*
★*खून साफ औऱ शुद्ध होने लगेगा*
★*लिवर इन्फ़ेक्सन SGOT का इलाज है*
          *सिद्ध लिवर कल्पचुर्ण*

त्रिफला          100 ग्राम
गिलोय           100 ग्राम
अजवायन      100 ग्राम
करेला चुर्ण     100 ग्राम
तुलसी पंचाग  100 ग्राम
सोंठ               50 ग्राम
चित्रकमूल       50 ग्राम
अडूसा            50 ग्राम
पिपली छोटी    50 ग्राम
त्रिकुट             50 ग्राम
मुलहठी           20 ग्राम
हल्दी              20 ग्राम
अतीस             20 ग्राम
चिरायता          20ग्राम
काला नमक     20 ग्राम
सेंधा नमक       20 ग्राम
सभी जड़ी बूटियों को पीसकर चुर्ण बना ले।

सेवन विधि

    1 बार मे 2 ग्राम (1चम्मच) पानी के साथ ले।
                 दिन में 3 बार दवा ले।
( बच्चों को 1 ग्राम आधा चम्मच ही दे दिन में 2 बार)
                 21 दिन का कोर्स पूरा करे।

लिवर की सभी बीमारी ठीक होगी। 

अगर आप कभी कभी इस चुर्ण को लेते हैं तो कभी लिवर की बीमारी नही होगी।

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नोट
★नही बना सकते तो online मंगवाए★

          ★जिगर की सूजन का कारण★

लीवर कमज़ोर होना या लीवर की खराबी, इस बिमारी के कई कारण हो सकते है। लीवर में दर्द होना, भूख कम लगना आदि इस बिमारी के सामान्य लक्षण है।
जिगर की सूजन का प्रमुख कारण भोजन को चबाए बिना निगल जाना, ठूंस-ठूंसकर तेल, मिर्च, मसालेदार पदार्थों तथा खट्टी, चटपटी चीजों का सेवन करना होता है

| रात्रि का भोजन करने के बाद अधिक देर तक जागकर कार्य करने से भी जिगर में सूजन उत्पन्न हो सकती है| दिनभर कुछ न कुछ खाते रहने से भी पाचन क्रिया विकृत होकर जिगर में सूजन का कारण बन जाती है|

लिवर की खराबी का अगर सही समय पर इलाज़ न हो तो आगे जाकर यह बिमारी विकराल रूप ले सकती है, यहाँ तक की जान भी जा सकती है।

लिवर में सूजन आ जाने से खाना आँतों मे सही तरीके
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          ★ खराब लिवर के लक्षण★

पेट में सूजन आना.
शरीर में थकावट.
छाती में जलन होती है भारीपन महेसुस होता है.
पेट में जल्दी गैस बनने की समस्या.
शरीर में आलसपन आना.
शरीर में कमजोरी आना.
लीवर बड़ा हो जाता है.
मुह का स्वाद ख़राब होता है.

इस रोग में जिगर में सूजन आ जाती है।
 वह शनै:-शनै: सिकुड़कर छोटा तथा कठोर हो जाता है।रोगी को अपच, उबकाई एवं वमन की शिकायत होने लगती है| भूख नहीं लगती| शरीर का वजन कम होने लगता है| पेट दर्द, त्वचा में पीलापन, हल्का ज्वर तथा शारीरिक और मानसिक थकावट के लक्षण प्रकट होने लगते हैं| पेट की नसें फूल जाती हैं| शरीर तथा चेहरे पर मकड़ी के जाले-से हल्के चिह्न दिखाई देने लगते हैं|


लिवर में सूजन आ जाने से खाना आँतों मे सही तरीके से नहीं पहुँच पाता और ठीक तरह से हज़म भी नहीं हो पाता। ठीक तरह से हज़म न हो पानें से अन्य तरीके के रोग भी उत्पन्न हो सकते है। इसलिए लीवर की खराबी का पक्का, आसान और पूरी तरह से आयुर्वेदिक इलाज़ हम आपके लिए लेकर आये है जिससे लिवर की खराबी से निजात मिल जाएगी।
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     ★ इन उपायों को साथ इसके साथ करे ★

● दो सप्ताह तक चीनी अथवा मीठा का इस्तेमाल न करें। चीनी के बजाय दूध में चार-पाँच मुनक्का डाल कर मीठा कर लें। रोटी भी कम खायें। अच्छा तो यह है कि जबै उपचार चलता रहे रोटी बिल्कुल न खाकर सब्जियाँ और फल से ही गुजारा कर लें।

सब्जी में मसाला न डालें। टमाटर, पालक, गाजर, बथुआ, करेला, लौकी आदि शाक-सब्जियाँ और पपीता, ऑवला, करें।

धी और तली वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें। पन्द्रह दिन में जिगर ठीक हो जाएगा।

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जिगर का संकोचन में दिन में दो बार प्याज खाते रहने से भी लाभ होता है।

जिगर रोगों में छाछ (हींग का बगार देकर, जीरा काली मिर्च और नमक मिलाकर) दोपहर के भोजन के बाद सेवन करना बहुत लाभप्रद है।

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आँवला का रस 25 ग्राम या सूखे ऑवलों का चूर्ण चार ग्राम पानी के साथ, दिन में तीन बार सेवन करने से 15-20 दिन में यकृत के सारे दोष हो जाते हैं।

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एक सौ ग्राम पानी में आधा नीबू निचोडकर नमक (चीनी की जाय) डालें और इसे दिन में तीन बार पीने से जिगर की खराबी ठीक होगी। 

7  से 21 दिन लें।
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जामुन के मौसम में 200-300 ग्राम दिया और पके हुए जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर हो जाती है। 

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तिल्ली अथवा जिगर (यकृत) व तिल्ली (प्लीहा) दोनों के बढ़ने पर पुराना गुड़ डेढ़ ग्राम और बड़ी (पीली) हरड़  का चूर्ण बराबर वजन मिलाकर एक गोली बनायें और ऐसी गोली दिन में दो बार प्रातः सायं हल्के गर्म पानी के साथ एक महीने तक लें।

इससे यकृत (Liver) और प्लीहा (Spleen) यदि दोनों ही बढ़े हुए हों, तो भी ठीक हो जाते हैं।
विशेष-इसके तीन दिन के प्रयोग से अम्लपित्त का भी नाश होता है।



सिद्ध अयूर्वादिक
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