सिद्ध ह्रदय कल्पचुर्ण-दिल के हर रोग की कारगर दवा


ह्रदय रोग और बढ़े कालेस्ट्राल की दवा सिद्ध ह्रदय कल्पचुर्ण


बढ़े ह्रदय की रामबाण दवा
यह दवा अधरंग के दौरे को भी ठीक करती है ।पोटेशियम की कमी को दूर करता है। ह्रदय का वाल बंद हो यह दवा करे।खराटे की समस्या ठीक होगी। Bp हाई रहता है तो ठीक होगा। दिल में तेज दर्द होने पर बेचैनी हो जाती है। हृदय में दर्द अचानक उठता हैं और बाएं कंधे तथा बाएं हाथ तक फैल जाता है। 


सांस फूलना, घबराहट बढ़ जाना, ठंडा पसीना आना तथा बेहोश हो जाना, जी मिचलाना, हाथ-पैर ठंडे पड़ना तथा नब्ज कमजोर मालूम पड़ना इस रोग के अन्य लक्षण हो तो यह दवा रामबाण है।
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जिन को हदय का अटैक हुआ है उन को दवा कारगर है।
जिस रोगी के दिल का आकार बढ़ा हो और सांस लेने में मुश्किल हो वो यह दवा बनाए ओर सेवन करे।

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यह दवा आप खुद बना सकते है।
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यह सभी समान पन्सारी से आसानी से मिल जाता हैं।
नही तो online मंगवा सकते हैं। whats 94178 62263 या 78890 53063 और email-sidhayurveda1@gmail.com पर मैसिज कर online मंगवा सकते हैं।

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ह्रदय रोग और बढ़े कालेस्ट्राल की
   अयूर्वादिक दवा-सिद्ध हिर्दय कल्पचूर्ण


अर्जन छाल चुर्ण 200 ग्राम
गिलोय 100 ग्राम
बेल चुर्ण 100 ग्राम
त्रिफला 100 ग्राम
अश्वगंधा50 ग्राम
तुसली बीज 50 ग्राम
पुनर्नवा 50 ग्राम
राई 50 ग्राम
अकरकरा 50 ग्राम
मुलेठी 50 ग्राम
कुटकी 50 ग्राम
इन्द्रयाण अजवायन 50 ग्राम
बरगद का दूध 50 ग्राम
जावित्री 20 ग्राम
दालचीनी 20 ग्राम
पीपला मूल 20 ग्राम
छोटी इलायची 20 ग्राम
:हींग10 ग्राम
बच10 ग्राम
सोंठ10ग्राम
जीरा10ग्राम
कूट10ग्राम
जवाखार10 ग्राम
सभी को कूट छानकर चुर्ण बनाए औऱ 200 ग्राम गिलोय रस औऱ 500 ग्राम एलोवेरा रस में भावना दे 
सायं में सुखा कर सेवन करे।
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सेवन विधि
यह 90 दिन का कोर्स होगा।
2 ग्राम (1 चमच्च)  ताजे पानी से ले।

दिन में 3 बार 21 दिन ले।
★21 दिन के बाद अगले 90 दिन सुबह शाम ले।
दिन 2 बार दवा ले।

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भोजन और परहेज:
★अत्यधिक गर्म एवं ठंडे दोनों खाद्य-पदार्थों से बचें।
अधिक परिश्रम, सहवास, घी, मलाई, मक्खन आदि हानिकारक है।
तम्बाकू, जर्दा, चाय, कॉफी, शराब एवं अन्य नशीली चीजें तथा मांस-मछली, गर्म मसाला आदि का सेवन करना मना है।
हृदय-रोग में शीर्षासन कभी न करें।
 रोगी को हाइड्रोजनकृत चर्बी जैसे- घी, मक्खन, वनस्पति, नारियल का तेज, नकली मक्खन या ताड़ का तेल आदि का उपयोग भोजन में नहीं करना चाहिए।
इन तेलों की जगह रोगी को सोयाबीन तेल, सूर्यमुखी तेल या कुसुम कराड़ी तेल का उपयोग करना चाहिए। पापकार्न, मजोला या सफोला तेल का भी उपयोग भोजन बनाने में कर सकते हैं।
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क्रीम, पनीर या दूध से बने दही या अन्य मिठाईयां जो गाढ़े दूध से बनी हो जैसे- गुलाब जामुन, मावा, चाकलेट तथा रसगुल्ले आदि चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
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यह करते रहे
रोजाना ध्यान में घंटा भर बैठना, प्राणायाम, आसन, व्यायाम, हर रोज आधा घंटा घूमने जाना और चर्बी बढऩे से रोकने के लिए सात्विक या शाकाहारी भोजन अत्यंत लाभकारी है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक स्वस्थ आहार, धूम्रपान छोडऩे, एक स्वस्थ वजन बनाए रखने और तनाव से खुद को बचाए रखना भी काफी अहम है।



किसी भी शरीरक  स्मयसा के लिए  contact करे।
Whats 94178 62263
Email-sidhayurveda@gmail.com

 


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