सिद्ध बवासीर योग - हफ्ते में करे बादी बवासीर ठीक


                
             
सिद्ध बवासीर योग
                   
त्रिफला 200 ग्राम
नीम बीज 80 ग्राम
आवला 80 ग्राम
रीठा 50 ग्राम
शुद गूगल 50 ग्राम
शंख भस्म 30 ग्राम
मोच रस 30 ग्राम
सभी को कूटपीस कर चुर्ण बनाए।

मात्रा :
   1-1 चमच्च -दिन में 3 से 4 बार पानी से ले।
1 हफ्ता दवा करे बिलकुल बादी बवासीर ठीक हो जएगी।
★★★

बवासीर के मस्सो पर -लगाने के लिए तेल
एरंडी के तेल को थोड़ा गर्म कर आग से नीचे उतार कर उसमे कपूर मिलाकर व घोलकर रख ले।

अगर कपूर की मात्रा 10 ग्राम हो तो अरंडी का तेल 80 ग्राम होना चाहिए। मतलब 8 गुना अगर कपूर 5 ग्राम हैं तो तेल 40 ग्राम।

पाखाना करने के बाद मस्सो को धोकर और पोछकर इस तेल को दिन में दो बार नर्मी से मस्सो पर इतना मलें की मस्सो में शोषित हो जायें।

इस तेल की नर्मी से मालिश से मस्सो की तीव्र शोथ, दर्द, जलन, सुईयां चुभने को आराम आ जाता ही और निरंतर प्रयोग से मस्सो खुश्क हो जाते है।
★★★
बवासीर के मस्से नष्ट करने के लिए  अजमाये हुए रामबाण घरेलू इलाज--

1. हल्दी को कड़वी तोरई के रस में लेप बनाकर मस्सों पर लगाने से सब तरह के मस्से नष्ट हो जाते हैं। इसमें अगर नीम का तेल या कोई भी कड़वा तेल मिलाकर मस्सों पर लगाया जाये तो और भी जल्दी आराम आता है।

2. आक के पत्ते और सहजने के पत्तों का लेप भी मस्सों के लिए बहुत रामबाण है।

3. नीम और कनेर के पत्तों का लेप मस्सों को नष्ट करता है।

4. सेहुंड(थूअर) के दूध में हल्दी का चूर्ण मिलाकर एक-एक बूँद मस्सों पर लगाने से मस्से नष्ट होते हैं
 
अगर बार बार बवासीर होती हैं और मस्से बाहर आ कर बहुत कष्ट देते हो तो ये घरेलु उपचार और मस्सो पर लगाने के लिए ये तेल घर पर बनाये बहुत ही लाभदायक हैं।

तो आइये जाने खूनी बादी बवासीर और बवासीर के मस्सो का इलाज।

दो सूखे अंजीर शाम को पानी में भिगो दे। सवेरे के भगोये दो अंजीर शाम चार-पांच बजे खाएं।

एक घंटा आगे पीछे कुछ न लें। आठ दस दिन के सेवन से बादी और खुनी हर प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।

बवासीर को जड़ से दूर करने के लिए और पुन: न होने के लिए छाछ सर्वोत्तम है।

दोपहर के भोजन के बाद छाछ में डेढ़ ग्राम ( चौथाई चम्मच ) पीसी हुई अजवायन और एक ग्राम सेंधा नमक मिलाकर पीने से बवासीर में लाभ होता है और नष्ट हुए बवासीर के मस्से पुन: उत्प्न्न नही होते।

*****

बवासीर के मस्से सूजकर संगर की भांति मोटे हो जाते है और कभी-कभी गुदा से बाहर निकल आते है।
ऐसी अवस्था में यदि उन पर इस तेल को लगाकर अंदर किया जाये तो दर्द नही होता और मस्से नरम होकर आसानी से गुदा के अंदर प्रवेश किये जा सकते है।

सहायक उपचार
1. बवासीर की उग्र अवस्था में भोजन में केवल दही और चावल, मूंग की खिचड़ी ले। देसी घी प्रयोग में लाएं। मल को सख्त और कब्ज न होने दे। अधिक तेज मिर्च-मसालेदार, उत्तेजक और गरिष्ठ पदार्थो के सेवन से बचे।

2. खुनी बवासीर में छाछ या दही के साथ कच्चा प्याज ( या पीसी हुयी प्याज की चटनी ) खाना चहिए।

3. रक्तस्रावी बवासीर में दोपहर के भोजन के एक घटे बाद आधा किलो अच्छा पपीता खाना हितकारी है।

4. बवासीर चाहे कैसी भी हो बड़ी हो अथवा खुनी, मूली भी अक्सीर है। कच्ची मूली ( पत्तो सहित ) खाना या इसके रस का पच्चीस से पचास ग्राम की मात्रा से कुछ दिन सेवन बवासीर के अतिरिक्त रक्त के दोषो को निकालकर रक्त को शुद्ध करता है।

विशेष
1. बवासीर से बचने के लिए गुदा को गर्म पानी से न धोएं। खासकर जब तेज गर्मियों के मौसम में छत की टंकियों व नलों से बहुत गर्म पानी आता है तब गुदा को उस गर्म पानी से धोने से बचना चाहिए।

2. एक बार बवासीर ठीक हो जाने के बाद बदपरहेजी ( जैसे अत्यधिक मिर्च-मसाले, गरिष्ठ और उत्तेजक पदार्थो का सेवन ) के कारण उसके दुबारा होने की संभावना रहती है। अत: बवासीर के रोगी के लिए बदपरहेजी से परम आवश्यक है।



                   ■हम आप की सेवा में है■
         ◆ किसी भी शरीरक  स्मयसा के लिए◆
          ●निशुल्क सिद्घ अयूर्वादिक सलाह ले●
                 Whats 94178 62263
       https://ayurvedasidh.blogspot.com/2018/04/blog-post.html

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ